Sunday, 29 August 2021

मोपला हिन्दू नरसंहार को CM विजयन ने बताया कृषि विद्रोह, 27% के तुष्टिकरण में जुटी CPI(M)


सन् 1921 में मालाबार में हुए हिन्दुओं के नरसंहार को किस तरह ‘मोपला कृषि विद्रोह’ का नाम देकर इतिहास में पढ़ाया जाता रहा, इसका अब खुलासा हो चुका है। अब केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस बात को दोहराया है कि ‘मालाबार विद्रोह’ एक ‘कृषि विद्रोह’ था और वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी इसका नेता था। उन्होंने इस झूठे नैरेटिव को आगे बढ़ाया है कि मोपला अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई थी।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार (28 अगस्त, 2021) को मोपला नरसंहार को लेकर अपनी पार्टी CPI(M) के स्टैंड को स्पष्ट किया। केरल विधानसभा के अध्यक्ष एमबी राजेश पहले ही जिहादी वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद की तुलना क्रांतिकारी भगत सिंह से कर चुके हैं। पिछले कई सप्ताह में पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखे पिनाराई विजयन जब मीडिया के सामने आए तो उन्होंने इसी स्टैंड को दोहराया।

एमबी राजेश की टिप्पणी पर राज्य के भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। विजयन ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम व्यक्तिगत बलिदानों, सशस्त्र क्रांतियों और कृषि विद्रोहों से बना है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों को भगाने में इन सबका योगदान था और किसी को भी नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने मोपला नरसंहार को ‘अंग्रेजों के साथी जमींदारों के खिलाफ संघर्ष’ करार दिया। उन्होंने दावा किया कि कुछ जगह ये भटका, लेकिन हाजी ने सभी को साथ रखा।

इस दौरान उन्होंने कुछ पुस्तकों का उदाहरण दिया, जिसमें हाजी का महिमामंडन किया गया है। लेकिन, इस दौरान वो ये बताना भूल गए कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में धर्मांतरण का क्या काम? मुख्यमंत्री और उनकी वामपंथी पार्टी को इस बात का जवाब देना चाहिए कि मोपला मुस्लिमों ने इस तथाकथित ‘कृषि विद्रोह’ में हिन्दुओं को ही क्यों निशाना बनाया? हिन्दू महिलाओं के बलात्कार क्यों हुए? क्या ये भी ‘अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध क्रांति’ थी?

असल में उनका ये बयान मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए है, क्योंकि केरल में मुस्लिमों की जनसंख्या 27% के करीब है। राज्य में ‘मुस्लिम लीग (IUML)’ नामक पार्टी भी सक्रिय है, जिसकी जड़ें भारत का विभाजन कराने वाले मुस्लिम लीग में हैं। पार्टी के पास 15 विधायक और 4 सांसद भी हैं। ISIS ने केरल को आतंकी भर्ती का अड्डा बना दिया है। तालिबान में भी यहाँ के कुछ लोग शामिल हैं। ऐसे में मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए हिन्दुओं के नरसंहार को भी जायज ठहराया जा रहा है।

मोपला मुस्लिमों द्वारा हिन्दुओं का नरसंहार: ‘मालाबार विद्रोह’ की सच्चाई

इस नरसंहार में इसमें सबसे विवादित नाम वरियामकुननाथ कुंजाहमद हाजी का ही आता है। वो मालाबार में ‘मलयाला राज्यम’ नाम से एक इस्लामी सामानांतर सरकार चला रहा था। ‘इस्लामिक स्टेट’ की स्थापना करने वाला कोई व्यक्ति स्वतंत्रता सेनानी कैसे हो सकता है? ‘द हिन्दू’ अख़बार को पत्र लिख कर उसने हिन्दुओं को भला-बुरा कहा था। अंग्रेजों ने उसे मौत की सज़ा दी थी। अब उस पर फिल्म बना कर उसके महिमामंडन की तैयारी हो रही है।

डॉक्टर आंबेडकर लिखते हैं, “अंग्रेजों के खिलाफ को तो जायज ठहराया जा सकता है, लेकिन मोपला मुस्लिमों ने मालाबार के हिन्दुओं के साथ जो किया वो विस्मित कर देने वाला है। मोपला के हाथों मालाबार के हिन्दुओं का भयानक अंजाम हुआ। नरसंहार, जबरन धर्मांतरण, मंदिरों को ध्वस्त करना, महिलाओं के साथ अपराध, गर्भवती महिलाओं के पेट फाड़े जाने की घटना, ये सब हुआ। हिन्दुओं के साथ सारी क्रूर और असंयमित बर्बरता हुई। मोपला ने हिन्दुओं के साथ ये सब खुलेआम किया, जब तक वहाँ सेना न पहुँच गई।”

हाल ही में भारत सरकार ने ‘मालाबार विद्रोह’ में शामिल लोगों के नाम ‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानियों’ की सूची से हटाने का फैसला लिया। विद्रोह के नाम पर उस समय 10,000 से भी अधिक हिन्दुओं का नरसंहार किया गया था। 1921 में लगभग 6 महीनों तक ये कत्लेआम चलता रहा था। इतिहास की समीक्षा के लिए बनी समिति ने पाया कि इस पूरे ‘विद्रोह’ के दौरान ऐसे कोई भी नारे नहीं लगाए गए, जो राष्ट्रवादी हों या फिर अंग्रेज विरोधी हों।

Tuesday, 10 August 2021

गाजियाबाद के डासना मंदिर में चाकुओं से जानलेवा हमला, दो साधु अस्पताल में भर्ती


गाजियाबाद एक ऐसा इलाका है, जो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटा हुआ है। लेकिन, इसके बावजूद यहां डासना में स्थित शिव-शक्ति धाम पर खतरा कम नहीं हो रहा है। अब इस मंदिर में फिर से दो साधुओं पर चाकुओं से हमले की घटना सामने आई है। दोनों साधुओं पर जानलेवा हमले के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। घटना की सूचना के बाद मंदिर प्रबंधन सहित आसपास के हिन्दुओं में भी आक्रोश का माहौल है।

‘दैनिक जागरण’ की खबर के अनुसार, मसूरी थाना क्षेत्र के डासना देवी मंदिर परिसर में सो रहे साधुओं पर चाकुओं से हमला किया गया। मंगलवार (10 अगस्त, 2021) को तड़के सुबह 4 बजे हुई इस घटना में दोनों साधु बुरी तरह घायल हो गए। पुलिस इस मामले की जाँच कर रही है, लेकिन लोगों ने मंदिर की सुरक्षा-व्यवस्था पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं, वो भी तब ये ये पीठ पहले से ही आतंकियों व इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर रहा है।

घायल साधुओं में से एक नरेशानंद कुछ दिनों पहले ही बिहार से आए थे और यहां प्रवास कर रहे थे। वो समस्तीपुर के रहने वाले हैं। हमलावरों का कुछ पता नहीं चल सका है। चाकुओं से ताबड़तोड़ वार करने के बाद वो वहां से फरार हो गए थे। डासना पीठ वही है, जहां के मुख्य महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती हैं। उन पर भी इससे पहले हमले की कोशिश हो चुकी है। वो अपने बयानों की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं।

खतरों व पुरानी घटनाओं के कारण 24 घंटे मंदिर और पुजारियों की सुरक्षा के लिए पुलिस का पहरा रहता है, इसके बावजूद इस तरह का हमला होना लोगों के आक्रोश का कारण बन रहा है। पुलिस CCTV फुटेज खँगाल रही है। महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती भी इस हमले के समय मंदिर परिसर में ही मौजूद थे और अपने कमरे में सो रहे थे। यशोदा अस्पताल में दोनों साधुओं का इलाज कराया जा रहा है।

‘दैनिक भास्कर’ के पत्रकार सचिन गुप्ता ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी है कि पुलिस को डासना देवी मंदिर से दो पेपर कटर मिले हैं। संभवतः इन्हीं से साधुओं पर हमला हुआ। मंदिर परिसर के CCTV बंद मिले हैं। मंदिर गेट पर 24 घंटे तैनात रहने वाली पुलिस पिकेट को 15 मिनट बाद इस हमले की सूचना अंदर से दी गई। उन्होंने एक घायल साधु की तस्वीर भी शेयर की, जिन्हें खून से लथपथ देखा जा सकता है।

वहीं महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के करीबी अनिल यादव ने इस घटना पर बयान देते हुए कहा, “हमला करने वाले इस्लामी जिहादी हैं। वह पहले भी कई बार मंदिर में घुस चुके हैं। रात महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती नहीं मिले तो दूसरे स्वामीजी पर हमला कर दिया।” घायल नरेशानंद महंत यति के शिष्य हैं। मंदिर प्रबंधन के लोगों का कहना है कि ये लोग महंत यति की हत्या के इरादे से ही आए थे।

लेखक संदीप देव ने बताया कि ‘जंतर मंतर’ पर हुए आंदोलन में भाग लेने के लिए समस्तीपुर से स्वामी नरेशानंद जी आए थे। उन्होंने बताया, ” चूँकि मैं गृहस्थ हूँ, अतः मैंने उनके रुकने का प्रबंध यति नरसिंहानंद जी के डासना मंदिर में करवाया था। एक मजहबी समूह ने मंदिर में घुसकर सोए हुए नरेशानंद जी को चाकुओं से गोद दिया। अपराधियों ने भगवा वस्त्र के कारण शायद उन्हें यति नरसिंहानंद समझ कर हमला किया है।”


Monday, 9 August 2021

मस्जिद के पास से जुलूस निकालने पर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला, मंदिरों में की तोडफोड


पाकिस्तान के बाद अब बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के मंदिरों को निशाना बनाया गया है। शनिवार (7 अगस्त) को बांग्लादेश में कुछ कट्टरपंथियों ने अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के कई घरों, दुकानों पर हमला किया और चार मंदिरों में तोड़फोड़ की। यह घटना बांग्लादेश के खुलना जिले के रूपशा उपजिला के शियाली गाँव की है।

बांग्लादेश हिंदू यूनिटी काउंसिल ने अपने ट्विटर हैंडल पर कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकियों द्वारा मंदिर में तोड़फोड़ की कुछ तस्वीरें शेयर की हैं। ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। ट्वीट में लिखा है, ”खुलना जिले के रूपशा उपजिला में शनिवार को सैकड़ों कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकियों ने शियाली (Shiali) और गोवारा (Gowara) गाँव पर हमला किया। उन्होंने इलाके के सभी मंदिरों और 58 हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ की। पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। यहाँ तक कि बांग्लादेश में किसी भी मीडिया ने इस घटना को सबके सामने लाना जरूरी नहीं समझा।”

समकाल (Samakaal) की एक रिपोर्ट के अनुसार, हमला शनिवार को शाम करीब 5:45 बजे किया गया। हथियारों से लैस आतंकियों ने घात लगाकर गाँव पर हमला किया था। हिंसा के दौरान 4 मंदिरों को तहस-नहस कर दिया गया और हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ की गई। इसके अलावा, आतंकियों ने 6 दुकानों को भी नष्ट कर दिया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस अधीक्षक (एसपी) समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की टीम मौके पर पहुँची। घटना के बाद से गाँव के लोगों में भय व तनाव का माहौल है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गाँव में पुलिस बल तैनात कर दिया है।

स्थानीय निवासियों और पूजा परिषद के नेताओं के मुताबिक, शुक्रवार (6 अगस्त) रात करीब नौ बजे महिला श्रद्धालुओं के एक समूह ने पूर्व पारा मंदिर से शियाली श्मशान घाट तक जुलूस निकाला था। उन्होंने रास्ते में एक मस्जिद पार की थी, इस दौरान इमाम (इस्लामी मौलवी) ने जुलूस का विरोध किया। इससे हिंदू भक्तों और मौलवी के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। तय हुआ कि शनिवार को इस मामले को पुलिस के समक्ष उठाया जाएगा।

हथियारों से लैस आतंकियों ने हिंदुओं पर किया हमला, मंदिरों को किया अपवित्र

उस दिन गाँव में कई बदमाश हथियार, हंसिया, फावड़ा लेकर पहुँचे और जमकर तोड़फोड़ की। उन्होंने गणेश मल्लिक (फॉर्मेसी), श्रीबास मल्लिक (किराना), सौरभ मल्लिक (चाय और किराना), अनिर्बन हीरा (चाय की दुकान) और उनके पिता मजूमदार सहित स्थानीय हिंदुओं की दुकानों में तोड़फोड़ की। साथ ही शिबपद धार नाम के एक व्यक्ति के आवास को भी लूट लिया। बदमाशों ने उनके घर में ‘गोविंदा मंदिर’ को भी नष्ट कर दिया। जिन अन्य मंदिरों को अपवित्र किया गया, उनमें शियाली पुरबापारा का ‘हरि मंदिर’, दुर्गा मंदिर और शियाली महाश्मशान मंदिर शामिल हैं। मंदिर में रखी कई मूर्तियों को भी तोड़ दिया गया है।

Sunday, 8 August 2021

8 साल के हिंदू बच्चे पर ईशनिंदा कानून, पाकिस्तान में सबसे कम उम्र के बच्चे पर लगाया गया ये कानून


पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ किस तरह का बर्ताव किया जाता है, इसको इस घटना से आसानी से समझा जा सकता है कि वहाँ 8 साल के बच्चे के खिलाफ भी ईशनिंदा के तहत कार्रवाई कर दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी पाकिस्तान में 8 साल के हिंदू बच्चे पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है। पाकिस्तान में ईशनिंदा की कार्रवाई झेलने वाला वह अब तक का सबसे कम उम्र का व्यक्ति बन गया है। उसे पुलिस की सुरक्षा में हिरासत में रखा गया है।

Photo : Reuters

मामला पंजाब प्रांत के रहीम यार खान जिले का है, जहाँ पिछले सप्ताह बच्चे को ईशनिंदा के मामले में जमानत दे दी गई थी। इसके बाद से बच्चे का परिवार अंडर ग्राउंड हो गया है। हालाँकि, पिछले सप्ताह ही जमानत के विरोध में कट्टरपंथियों की भीड़ ने एक हिंदू मंदिर पर भी हमला कर दिया था। इसके बाद कई हिंदू परिवार वहाँ से अपना घर छोड़कर चले गए हैं। फिलहाल, इलाके में सेना को तैनात किया गया है। शनिवार (7 अगस्त 2021) को मंदिर पर हमले के मामले में 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, 8 साल के हिंदू बच्चे पर आरोप है कि उसने पिछले महीने एक मदरसे के पुस्तकालय में एक कालीन पर जानबूझकर पेशाब किया, जहाँ पर धार्मिक किताबें रखी गई थीं। वहाँ के कानून के अनुसार यह ईशनिंदा है। आपको बता दें कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों में मौत की सजा हो सकती है।

द गार्जियन नाम की न्यूज वेबसाइट को लड़के के परिवार ने बताया, “उसे (लड़का) ईशनिंदा क्या है, ये भी नहीं पता और उसे जबरन मामले में फँसाया जा रहा है। उसे अभी भी समझ नहीं आया है कि उसका अपराध क्या था और उसे एक हफ्ते के लिए जेल में क्यों रखा गया था? हमने अपनी दुकानें और काम छोड़ दिया है। पूरा समुदाय डरा हुआ है और हमें उनके (मुस्लिमों) बदले की कार्रवाई का डर है। हम इस क्षेत्र में वापस नहीं जाना चाहते हैं। हमें नहीं लगता कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस और सार्थक कार्रवाई की जाएगी।”

एक बच्चे के खिलाफ दर्ज ईशनिंदा के आरोपों ने कानूनी विशेषज्ञों को चौंका दिया है। इससे पहले पाकिस्तान में इतनी कम उम्र के बच्चों ईशनिंदा का आरोप नहीं लगा था।

इस मामले में पाकिस्तानी सांसद और पाकिस्तान हिंदू परिषद के प्रमुख रमेश कुमार ने कहा, “मंदिर पर हमले और आठ साल के नाबालिग लड़के के खिलाफ ईशनिंदा के आरोपों ने मुझे वास्तव में झकझोर कर रख दिया है। हमले के डर से 100 से अधिक हिंदुओं ने अपने घर खाली कर दिए हैं।”

वहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता कपिल देव ने 8 साल के नाबालिग बच्चे पर लगे आरोपों को वापस लेने की माँग की और सरकार से अपना घर छोड़कर जा रहे हिंदुओं को सुरक्षा देने की माँग की। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में हिंदू मंदिरों पर हमले बढ़े हैं, जो चरमपंथ और कट्टरता के बढ़ते स्तर को दर्शाता है। हाल के हमले हिंदुओं के उत्पीड़न की एक नई लहर प्रतीत होते हैं।”

विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के राजदूत को किया तलब

हिंदू मंदिर को निशाना बनाने के मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के राजदूत को तलब कर पाकिस्तान के मुस्लिम बहुल इलाके में रहने वाले हिंदू समुदाय को सुरक्षा देने की माँग की।

Wednesday, 4 August 2021

धर्मांतरण का विरोध कर रहे रामलिंगम की हत्या के आरोपित PFI सदस्य रहमान को NIA ने किया गिरफ्तार


राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने मंगलवार (05 अगस्त 2021) को यह सूचना दी कि तमिलनाडु के तंजावुर में साल 2019 में हुई रामलिंगम की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता रहमान सादिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। रामलिंगम ने इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के ‘दावा’ कार्यक्रम का विरोध किया था जिसके बाद 05 फरवरी 2019 को उसकी हत्या कर दी गई थी।

ज्ञात हो कि रामलिंगम ने PFI के नेताओं के द्वारा किए जा रहे कार्य का विरोध किया था। इसके अंतर्गत PFI के नेता हिन्दुओं का इस्लाम में धर्मांतरण करा रहे थे। NIA ने बताया कि रामलिंगम ने एक आरोपित मोहम्मद फारुक के सिर से ताक़िया हटाकर उसके माथे पर तिरुनीर लगाकर यह जताने की कोशिश की कि सभी धर्म समान हैं। रामलिंगम की इस कोशिश का बदला लेने और लोगों के मन में खौफ पैदा करने के उद्देश्य से रहमान सादिक ने रामलिंगम की हत्या की साजिश रची।

इस मामले में 06 फरवरी 2019 को ही केस दर्ज कर लिया गया था। NIA के प्रवक्ता ने बताया कि बाद में NIA ने मामले को अपने हाथ में लिया और 07 मार्च 2019 को NIA के द्वारा दोबारा केस दर्ज किया गया। मामले की जाँच में यह सामने आया कि सादिक तंजावुर में PFI के दावा कार्य का एडमिनिस्ट्रेटर था। उसने अन्य आरोपितों के साथ मिलकर थिरुभुवनम में रामलिंगम की हत्या की साजिश रची।

NIA ने बताया कि सादिक और उसके अन्य साथियों ने हत्या के लिए हथियार, वाहन और छुपने के लिए जगह का पूरा बंदोबस्त किया। NIA ने 02 अगस्त 2019 को चार्जशीट दायर की जिसमें 18 लोगों को आरोपित बनाया गया जो PFI और SDPI से जुड़े हुए थे। सादिक, पूरी साजिश को अंजाम देने के बाद फरार हो गया था और तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई स्थानों में पिछले 2 सालों से छुपा हुआ था। सादिक पर ऐसे कार्यों के लिए कट्टरपंथियों की भर्ती करने का आरोप भी है।

ज्ञात हो कि 05 फरवरी 2019 को तंजावुर के निवासी रामलिंगम की इस्लामिक संगठनों PFI और SDPI के सदस्यों के द्वारा हत्या कर दी गई थी। हत्या करने से पहले रामलिंगम के हाथ काट दिए गए थे। NIA की चार्जशीट में बताया गया था कि इन संगठनों के ‘मजहबी कार्यों में बाधा डालने’ के कारण रामलिंगम को रास्ते से हटाया गया था।